छंद किसे कहते हैं - परिभाषा, उदाहरण, भेद और प्रकार
छंद शब्द का अर्थ है वह रचना जो किसी कविता या किसी कवि की शैली में लिखी जाती है। यह एक कविता में आदर्श और संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है जो उसकी अद्वितीयता और शैली को प्रकट करता है। छंद (Chhand kise kahate hain) का विशेष महत्व हिंदी साहित्य में है, जहाँ छंद और अलंकार की विविधता और समृद्धि देखी जा सकती है।
छंद की परिभाषा - Chhand kise kahate hain
छंद की परिभाषा में छंद वह संरचना होती है जो किसी कविता या कवियों की रचनाओं में पाई जाती है। यह रचना के ढंग, अंकुर, और रचना के स्वर के साथ संबंधित होती है। छंद का महत्वपूर्ण अंग भाषा की सुंदरता और अर्थ को समझने में मदद करना है। Chhand की सही उपयोग और संरचना से, कविता की सामग्री और भावनाएं अधिक प्रभावी रूप से प्रस्तुत होती हैं।
यह एक ऐसी विशेषता है जो किसी भी कविता या गीत में सुनाई जाती है। छंद शब्द उर्दू और हिंदी में 'छांदना' से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है 'मापना'।
छंद के उदाहरण
छंद के उदाहरण में, हिंदी साहित्य में अनेक प्रसिद्ध कविताएं हैं जो विभिन्न छंदों में लिखी गई हैं। उदाहरण के रूप में, संत कवि सूरदास की 'साखी' जैसी कविताएं उच्च काव्यिक माने जाते हैं जो अपने छंदों और विचारों के लिए प्रसिद्ध हैं।
छंद के भेद
१. अलंकार
अलंकार छंद का एक महत्वपूर्ण भाग है जो कविता को सुंदर बनाने में मदद करता है। यह कविता में रस, भावना और गंभीरता को बढ़ाता है।
२. रस
रस छंद का एक अन्य महत्वपूर्ण भाग है जो कविता में भावनाओं को प्रकट करता है। यह कविता को जीवंत और संवेदनशील बनाता है।
छंद के प्रकार
१. गीतिकाव्य
गीतिकाव्य छंद का एक प्रमुख प्रकार है जो गाया और सुना जा सकता है। इसमें सांगीतिकता और कविता का समन्वय होता है।
२. दोहा
दोहा छंद का एक और प्रमुख प्रकार है जो दो पंक्तियों में लिखी जाती है। इसमें रसोई, ज्ञान, और अनुभव को साझा किया जाता है।
छंद के अंग
छंद के निम्नलिखित अंग होते हैं।
- चरण या पाद: छंद में प्रत्येक पंक्ति को पाद के रूप में विभाजित किया जाता है।
- वर्ण और मात्रा: छंद में प्रत्येक पाद में वर्ण और मात्राओं की संख्या और व्यंजन का समान वितरण होता है।
- संख्या और क्रम: छंद में प्रत्येक पाद के वाक्यांशों को संख्यात्मक क्रम में प्रस्तुत किया जाता है।
- गण: गण छंद का एक महत्वपूर्ण अंग है जो पादों को गणों में विभाजित करता है।
- गति: छंद में प्रत्येक पाद की गति या अद्भुतता को संघटित किया जाता है।
- यति या विराम: यति या विराम छंद में वाक्य के अंत में एक विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
- तुक: छंद में प्रत्येक पाद को तुकों में विभाजित किया जाता है, जो छंद की ध्वनियों को संरचित करता है।
छंद के प्रकार और उदाहरण:
- गीत: "सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को, मिल जाए तरूवर की छाया।" - गीत
- दोहा: "रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।" - रहीम
- चौपाई: "राम जी की आन बँधी, सकल सुरस नागरी।" - तुलसीदास
- श्लोक: "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।" - भगवद्गीता
- मात्रिक छंद की परिभाषा: मात्रिक छंद में पंक्तियों के अंत में स्वरों की संख्या को मापा जाता है।
मात्रिक छंद के प्रकार:
- गण: गण के आधार पर मात्राएँ मापी जाती हैं।
- त्रिष्टुब्: इसमें पंक्ति में ११ मात्राएँ होती हैं।
- जगती: इसमें पंक्ति में १२ मात्राएँ होती हैं।
- अनुष्टुब्: इसमें पंक्ति में १० मात्राएँ होती हैं।
मात्रिक छंद की परिभाषा
मात्रिक छंद में शब्दों की पंक्तियों में मात्राओं की गणना की जाती है। इसमें प्रत्येक शब्द के व्यापक स्वर की मात्रा का महत्व होता है और इसे ध्यान में रखकर छंद की रचना की जाती है। इस प्रकार के छंद में स्वरों के संख्यात्मक आयाम पर आधारित बनावट होती है।
चौपाई छंद
- बरवै (विषम) छंद
- छप्पय छंद
- कुंडलियाँ छंद
- दिगपाल छंद
- आल्हा या वीर छंद
- सार छंद
- दोहा छंद
- रूपमाला छंद
- त्रिभंगी छंद
- सोरठा छंद
- रोला छंद
- गीतिका छंद
- हरिगीतिका छंद
- उल्लाला छंद
- तांटक छंद